
🌟काम, कनक और कामिनी
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👉 काम कनक और कामिनी सम्पूर्ण प्राणी मात्र का अंत कर रहे है
(कामनी अर्थात माया )
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🌹काम कामनी की यह आग इसे मिटावे गोरखनाथ
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🍃काल कनक अरु कामिनी, परिहर इन का संग
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🔥सब जग जल मुवा, ज्यों दीपक ज्योति पतंग
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👉 जो माया के द्वारा उत्पन्न होते हैं,
वे सभी साधारण जीव, माया में ही मोहित रहते हैं |
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👉 वे माया के कौन से रूप से मोहित हो जाते हैं ?
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🙏 गुरूजी कहते हैं कि यह कालरूप माया, कनक और कामनी रूप होकर सबको मोहित करती है जैसे दीपक सब पतंगों को जलाता है, इसी प्रकार प्राणी मात्र को माया जलाती है |
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🙏 इसलिए तत्त्व - वेत्ताओं ने इसका त्याग किया है
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👉 जहाँ कनक अरु कामनी, तहँ जीव पतंगे जांहि
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🍃आग अनंत सूझै नहीं, जल - जल मूये मांहि
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👉 जहाँ कनक ( सोना ) और कामिनी ( माया रूप ) होते हैं, वहीं पर लोभी और कामी, पतंग रूप जीव जाते हैं और उनसे प्रीति करके उनकी प्रेमरूपी शीतल अग्नि में जल कर नष्ट होते रहते है | जैसे दीपक को देखकर पतंगे आकर उसकी ज्योति में जल जाते हैं, वैसी ही अज्ञानी मनुष्यों की हालत होती है
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🌾त्रिया पावक नर पतंग, देखत ही मर जाइ
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🍃को इक हरिभक्त ऊबरै, गोरख सुमिर गुण गाइ
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🌾घट मांही माया घणी, बाहर त्यागी होइ
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🌾फाटी कंथा पहर कर, चिन्ह करै सब कोइ
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👉 जिनके अन्तःकरण में तो माया की पूर्ण वासना भरी हुई है और ऊपर से फकीरी बाना बनाकर अपने को त्यागी कहलाते हैं | फटी हुई कंथा धारण करते हैं अथवा गैरूवां कपड़े, माला, तिलक आदि आडम्बर करते हैं, ऐसे बहुत से नकली भेषधारी होते हैं
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🌾मन में माया ले रहे, तन तैं देइ निवार
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🙏हमारी रक्षा करे जति गोरख बाला
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🌺 जय गुरुदेव धर्मनाथ आदेश
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