#समझेगा_कोई_समझनहारा●●●●●●
#है_शब्दजाल_ये_सत्य_है_मिथ्या_नही
#लगी_गांठ_खोले_जो_सो_चेतन_होवे
🌾सुन रे भाई देखा देखा एक खेल निराला
🌷बिना जड़ के एक पेड़ देखा, जिसके पात नज़र ना आता
🌷उसी पेड़ में एक पक्षी बोले चोंच पंख ना काया
🌾सुन रे भाई देखा देखा एक खेल निराला
🌷बिना ताल के एक सरोवर देखा जल नज़र नही आता
🌷मेरा गुरु ऐसा बहुरंगी वाही बैठ के मल मल नहाता
🌾सुन रे भाई देखा देखा एक खेल निराला
🌷बिन धरणी एक चूल्हा देखा तरह तरह का भोजन पकाया
🌷मेरा गुरु ऐसा मनमौजी बिन मुख भोजन खाया
🌾सुन रे भाई देखा देखा एक खेल निराला
🌷 बिन ईंट पत्थर के नगर देखा जिसमे करोड़ो जीव जा वासा
🌷पांच पचीस के संग मिल मनवा नाच नचाता
🌾सुन रे भाई देखा देखा एक खेल निराला
🌷बिना पैर के साधु देखा उलट सुलट चलता रहता
🌷मूल से पग धरता उलट अधरगढ़ चढ़ जाता
🌾सुन रे भाई देखा देखा एक खेल निराला
🌷कहे गुरुधर्मनाथ सुन रे सोॐनाथ नाथो की है ये माया सगुरा ही भेद भेद का पाया
🌷गगन मण्डल में चढ़ कर देख मुर्दे ने भी भोजन खाया
#गुरु_हमारा_ऐसा_जो_जीवन_नही_मरण_बताता
#साध_वही_जो_बिन_धूणी_तप_जाता
🌷अलख आदेश योगी गोरख
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