जब जब सार शब्द आवे हाथ
तब तब काल नवावे माथ
जानना है गर मुझे ऐ नादान
जड़ को खोद पात में मत उलझ
ध्यान का प्रथम चरण
प्रथम ध्यान स्वयं का
पहले ध्यान में स्वयं को खोजे
स्वयं की अच्छाई बुराई का मनन करे
स्वयं को परखे जाने हमारे लिए क्या अच्छा है क्या बुरा ये विचार करे ।
ऊपर जाने के लिए एक सीढ़ी चढ़ने के लिए दूसरी को छोड़ना पड़ता है
एक एक करके अपनी कमियों को दूर करते रहे और ऊपर चढ़ते रहे
क्योकि जब तक हम अपना स्वयं का ध्यान नही रख सकते तो ईश्वर का ध्यान कैसे करेंगे ?
अलख आदेश
नाथजी की फौज करेगी मौज
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