नवनाथ दर्शन
नवनाथ-शाबर-मन्त्र
“ॐ नमो आदेश गुरु की।
ॐकारे आदि-नाथ, उदय-नाथ पार्वती।
सत्य-नाथ ब्रह्मा। सन्तोष-नाथ विष्णुः,
अचल अचम्भे-नाथ। गज-बेली गज-कन्थडि-नाथ,
ज्ञान-पारखी चौरङ्गी-नाथ। माया-रुपी मच्छेन्द्र-नाथ,
जति-गुरु है गोरखनाथ।
************************************************************
********************************************************************
घट-घट पिण्डे व्यापी, नाथ सदा रहें सहाई।
नवनाथ चौरासी सिद्धों की दुहाई। ॐ नमो आदेश गुरु की।।
********************************************************************
नवनाथ-स्तुति
“आदि-नाथ कैलाश-निवासी, उदय-नाथ काटै जम-फाँसी।
सत्य-नाथ सारनी सन्त भाखै, सन्तोष-नाथ सदा सन्तन
की राखै। कन्थडी-नाथ सदा सुख-दाई, अञ्चति अचम्भे-
नाथ सहाई। ज्ञान-पारखी सिद्ध चौरङ्गी, मत्स्येन्द्र-नाथ
दादा बहुरङ्गी। गोरख-नाथ सकल घट-व्यापी, काटै कलि-
मल, तारै भव-पीरा। नव-नाथों के नाम सुमिरिए, तनिक
भस्मी ले मस्तक धरिए। रोग-शोक-दारिद नशावै, निर्मल
देह परम सुख पावै। भूत-प्रेत-भय-भञ्जना, नव-नाथों का
नाम। सेवक सुमरे धर्म नाथ, पूर्ण होंय सब काम।।”
प्रतिदिन नव-नाथों का पूजन कर उक्त स्तुति का २१ बार
पाठ कर मस्तक पर भस्म लगाए। इससे नवनाथों की
कृपा मिलती है। साथ ही सब प्रकार के भय-पीड़ा, रोग-
दोष, भूत-प्रेत-बाधा दूर होकर मनोकामना, सुख-सम्पत्ति
आदि अभीष्ट कार्य सिद्ध होते हैं। २१ दिनों तक, २१ बार
पाठ करने से सिद्धि होती है।
*******************************************************
**************************************************************
No comments:
Post a Comment