Dec 4, 2017

कौन देगा शरण ???







कौन देगा शरण ???
जब किसी को अपनाया ही नहीं


इस बात से नही डरना चाहिए कि हम मर जाएंगे,
परंतु इस पर विचार अवश्य करना कि हम मर कर किधर जाएंगे ?? 

क्योंकि इस जगत हमने घर बना लिया , 

सगे-सम्बन्धी एव मित्र ढूंढ लिए, जो मन मे आया सो कर लिया,
और अपने आप मे संतुस्ट हो लिए। 

पर क्या यह काफी हो गया? 

क्या इसके बाद सम्पूर्ण जिम्मेदारी भी पूरी हो गयी ?? 
घर बनाया परन्तु कितने समय के लिए यह घर बनाया है ?? 

क्या सदा यहीं पर रहना है ?? 

जब यह सोचोगे तब लगेगा की कहीं तो कोई कमी बाकी रह गायी है,
यह सब तो इस भौतिक जगत के लिए है।
जो एक निश्चित समय के लिए है, उसको तो पूरी मेहनत और लगन के साथ किया 

परंतु क्या आत्म-जगत के लिए भी कभी कुछ किया ?? 
यदि नहीं तो कब करोगे ?? 

आज कल के बारे मे यदि सोचोगे तो आज बीत जाता है और कल कभी आता नहीं है 
माना कि धर्म के अनुसार सांसारिक रिश्तों को भी ईश्वर ने ही बतौर जिम्मेदारी हमे निभाने को दिये हैं 

यह तो ठीक है 

कि जिस प्रकार हमारे पालन-पोषण की जिम्मेदारी हमारे माँ-बाप ने निभाई 
ठीक उसी प्रकार सोॐ को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होती है 

परंतु इसी चक्कर मे अपने आत्मिक विकास के बारे मे मत भूल जाना, नहीं तो 
इस दुनिया को छोड़ने के बाद आपका अपना कौन होगा ?? 
क्योंकि शरीर छूटने के बाद यह सब यहीं पर रह जाएगा। साथ कुछ जाएगा नहीं। 

तब क्या होगा ?? 
कहाँ जाएंगे ?? 
कौन अपनाएगा ?? 


अर्थात :-- शरण कहाँ मिलेगी, जब हमारे पास शरीर रूपी साधन था परमात्मा को अपनाने के लिए 
तब तो उसे अपनाया नहीं 
और जब हमारे पास अब कोई साधन ही नहीं बचा तो हम अपनाएँगे कैसे ??
और पहले अपनाया नहीं तो कहीं ऐसा नहीं हो कि शरीर छूटने के बाद आत्मा को भटकना पड़े। 
यदि ऐसा हुआ तो 
हम पाप का भोग भोगंगे और जो जन्म हमे लाखो पुन्य कर के प्राप्त हुआ वह बेअर्थ हो जाएगा । 
वैसे भी जो किया वह सब शारीरिक भोग के लिए, 
इस भौतिक जगत के लिए, आत्मिक जगत के लिए कुछ नहीं 


फिर सोचो आपके साथ क्या जाएगा ?? 
धन भूमि मे गड़ा रह जाता है, 
पशु गौशाला मे बंधे रह जाते हैं, 
स्त्री घर के द्वार तक साथ देती है, 
संबंधी मित्रगण शमशान तक साथ देते हैं, 
शरीर चिता तक साथ देता है 

अर्थात :-- जो इस संसार मे पाया यहीं पर छूट गया तो फिर साथ क्या गया ?? 

जो मृत्यु उपरांत प्राप्त हो सके, झूठ, छल, कपट, करके प्राप्त धन, बैभवता, शान, शौकत, सब यहीं छूट जाती हैं, अगर साथ रह जाती तो केवल अपनी *करनी* जो हम कर जाते हैं,
उसी करनी का फल लेकर हम इस संसार से गमन करते हैं। 


हम अकेले होते हैं,आपने कर्मों का प्रमाण पत्र (सर्टिफिकेट) लेकर और उसी के अनुसार हमे गति प्रदान की जाती है। 

उस समय हम और हमारे सामने ईश्वर हमारे कर्मो का लेखा-जोखा देखकर हमारी गति निर्धारित करते हैं। 

अवश्य मन्थन करना कि 
क्या इसी लिए हम आए थे इस संसार मे? 

ईश्वर ने तो हमे शरीर इस लिए प्रदान किया कि हम आपने कर्मो के माध्यम से जन्मो-जन्मो के फेर से मुक्ति पा लें 
परंतु हम तो यहाँ की चकाचौध मे विलुप्त हो गए जहां हमे स्वार्थ,पाप के सिवा कुछ दिखाई ही नहीं दिया, 

धर्म को भूले, 
कर्म को भूले, 

और तो और जिस ईश्वर ने हमे पैदा किया उसे ही भूल गए, जब ऐसा किया तो भरेगा कौन सोॐ ?? 

कभी समय मिले तो विचार अवश्य करना


जय गुरुदेव धर्मनाथ 
अलख आदेश 

नाथ जी के रंग 14सो चेलो संग 
नाथजी की फौज करेगी मौज

सोॐ नाथ

1 comment:

  1. ॐ गुरुजी आदेश गुरुजी सतगुरुओ को आदेश गुरुजी

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