Dec 6, 2017

शिव ही गोरख, गुरु ही गोरख





त्याग दे सब माया, छोड़ दे विलाप

🍂 जप ले साँसम साँसम अजपा जाप 

🍂 सोई कर विचार ले आपम आप 

🌿 बस वहां जहाँ पहुंचे पुन्य न पाप 


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🍂 सूर्य बिन प्रकाश हुऐ , चांदनी चमके बिन चाँद
🌿 नीर बिन गंग बहे, बिन तीर्थ चारो धाम 
🍂 घट भीतर चेतन धूणा, बिन अगन तपे उलट नाथ

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🌿 समंझ समंझ की समंझ है
🍂 है समंझ समंझ का भेद
🌿 भेद भेद को भेदे, भेद रहे ना भेद 


🌷🌷 शिव ही गोरख, गुरु ही गोरख 🌷🌷

सोॐ नाथ


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