मुसाफ़िर ही भटक जाए तो रास्तो का दोष ??
जब बीज की खराब हो तो भूमि का क्या दोष ??
ये जगत कभी किसी की जागीर नही हुई और न कभी किसी की होगी।
इस माया रूपी संसार मे
ईश्वर का नाम ही सत्य है
बाकी कोई किसी का नहीं होता
सब मुसाफ़िर है यहाँ, एक न एक दिन सबको जाना होता है। कोई जल्दी तो कोई थोड़ा रुक के
मोह वासना से लिप्त होकर खुश हो रहे है हम
जब मानव को ज्ञान हो जाता है तो सब ज्ञान का मान स्वयं चकनाचूर हो जाता है
कहते है कि मानव चोला सबसे श्रेष्ठ है
किन्तु कैसे ????
इस संसार मे सबसे ज्यादा कुकर्म मानव ही करता है
मुक्ति के लिये जिस सरीर की रचना की उस सरीर पर ही गुमान करने लगे हम ऊपर चढ़ने की बजाय नीचे नीचे गिर रहे अपने सुख दुख के चक्कर मे उस ईश्वर को भूल जाते है
इंसान दूसरे जीवो के खा रहा है। सता रहा है
फिर कैसे हम श्रेष्ट है ????
फिर कैसे हम श्रेष्ट है ????
कौन सी बुराई नही है हममे ??
कौन सी बुराई छोड़ दी हमने ??
काम क्रोध अहंकार में ही घूम रहे है
स्वयं का भला चाहते है यहाँ सब
कौन किसी दूसरे को खुश देखना चाहता है यहाँ ??
फिर हम महान कैसे ???
क्या है इस जग में हमारा ??
क्या लेकर आये है यहाँ ??
क्या उदेश्य है यहाँ आने का ??
क्यो नही कभी मैं ये विचार करता ??
क्यो अपने तन को सर्वश्रेष्ठ घोषित किया ??
क्यो बाकी जीवो को नीचे की श्रेणी में पटक दिया हमने ??
क्यो हम स्वयं को दोषी नही समझते
क्यो हम अपना दोष दूसरे के उपर मढ़ते रहते है ??
हे भगवान सब तेरी माया
हे भगवान सब तेरी माया
ईश्वर को भी नही छोड़ते हम कुछ अच्छा हो जाये तो मैं मैं
कुछ गलत हो जाये तो ... ईश्वर की इच्छा
स्वयं का दोष कभी स्वीकार नही करते हम
मुसाफ़िर ही भटक जाए तो रास्तो का क्या दोष सोॐ ??
जब बीज की खराब हो तो भूमि का क्या दोष ??
विचार करना ...
🌿 अलख आदेश🌿
No comments:
Post a Comment