मैं ईश्वर का भक्त हूँ
मैं ईश्वर की पूजा करता हूँ
मैं प्रार्थना करता हूँ
मैं ये मैं वो आदि आदि...
इस मैं (अहंकार भाव ) से पार उतर जा
क्योकि ......
🌿पूजा भी ईश्वर की
🌿प्रार्थना भी ईश्वर की
🌿तू भी ईश्वर का .... फिर बाकी बचा क्या ??
एक समय ऐसा भी आता है कि ....
🌿आँधी ही नैय्या बन जाती है
🌿मझदार भी किनारा बन जाता है
🌿न डूबने का भय
🌿न उबरने की चाहत
क्योकि ....
🌿ईश्वर ही सागर है
🌿ईश्वर ही नैय्या है
🌿ईश्वर ही खिवैया है
🌿 जिस समय हर्दय गदगद होकर चक्षुओं से अश्रु धार बहने लगे समझो जीवन सफल होने लगा ..सोॐ नाथ
🌿अलख आदेश
🌿 नाथजी की फौज करेगी मौज
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