तीन लोक
स्वर्ग लोक (आकाशलोक)
मर्त्युलोक (पृथ्वीलोक)
नर्कलोक (पाताललोक )
कहाँ है ये सब ??
कहाँ ??
क्या आगे भी कहीं कोई लोक है?
✖नही
✖नही
✖नही
यहीं है तीनों लोक हैं।
नर्क भी यहीं
पृथ्वी भी यहीं
स्वर्ग भी यहीं
सब हमारी अपनी दृष्टि का भर्म है"सोॐ'' इधर दृष्टि बदली कि उधर सृष्टि बदली।
नर्कलोक------- जो आदमी विचार में जी रहा है, वह नर्क में जी रहा है।
स्वर्गलोक ------जो आदमी भाव भक्ति में जी रहा है, वह स्वर्ग में जी रहा है।
मृत्युलोक--------जो दोनों के मध्य में अटका है, वह पृथ्वी (मृत्युलोक) पर
इस पृथ्वी पर अधिक लोग नर्क में जी रहे हैं। यह मत सोचो कि नर्क कहीं पाताल में है।
नीचे यही पृथ्वी है।
इसलिए
-नीचे—-ऊपर का अर्थ समझो।
नीचे यही पृथ्वी है।
इसलिए
-नीचे—-ऊपर का अर्थ समझो।
-नीचे का अर्थ जमीन के नीचे नहीं है।
-ऊपर का अर्थ आकाश में मत देखने लगो।
नीचे का अर्थ है विचार। ऊपर का अर्थ है भाव। नीचे का अर्थ है विक्षिप्तता।
ऊपर का अर्थ है विमुक्तता। और दोनों के मध्य में पृथ्वी है।
जो लोग नर्क में जी रहे हैं वे दुख पा रहे हैं बहुत दुख पा रहे हैं
अभी पा रहे हैं वासना क्रोध इत्यदि करो और हो गए नर्क में प्रविष्ट जलने लगी आग।
वासना क्रोध जितना गला देता है और जितना जला देता है, और कोई क्या जलायेगा?
आकाश में नहीं है स्वर्ग! ऊपर कहते हैं इसलिए कि वह ऊपर की अवस्था है,
हमारी चेतना की ऊपरी से ऊपरी अवस्था का नाम है। भाव भक्ति श्रेष्ठतम अवस्था है हमारे भीतर का शिव है
ज्यादा लोग नर्क में जी रहे हैं,
बहुत थोड़े—से लोग पृथ्वी पर जी रहे हैं,
और बहुत विरले लोग स्वर्ग का अनुभव कर रहे हैं।
और सब यहीं है
हमारे सरीर में तीन त्रिलोक है
खुद निर्धारित कर यहीं तुम्हारे शून्य में सब छिपा है। तुम्हारे सहस्रार में सब छिपा है"सोॐ''
प्रकाशों का प्रकाश इसी शून्य में विराजमान है। इसमें जो डूबा, वह सिद्ध हुआ, योगेश्वर हुआ।
अलख आदेश जय गुरु धर्मनाथ आदेश आदेश आदेश
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