मैं आदि शक्ति हूँ।
समस्त ब्रम्हांड के सञ्चालन में जो ऊर्जा हैं,
वो मैं हूँ।
सर्व भूतों के श्वास में जो तपन हैं
मैं वो हूँ।
मनुष्य के नाभि में स्थित कुण्डलिनी शक्ति मैं हूँ।
गृह नक्षत्रो की गति मैं हूँ।
विष्णु का सुदर्शन मैं हूँ,
महादेव का त्रिशूल मैं हूँ।
सौर मंडल में विचरने वाली विद्युत शक्ति मैं हूँ।
प्रकृति की प्रचंड शक्ति मैं हूँ।
मैं ही जगदम्बा हूँ
और काली भी मैं ही हूँ।
मैं ही जन्म देती हूँ और संहार भी मैं ही करुँगी।
मैं ही महाप्रलय पर संपूर्ण जगत को महादेव के त्रिनेत्र के रूप में अपना ग्रास बना लेती हूँ।
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जय आदि शक्ति
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