Mar 20, 2017

🚩बालक की हंसी



 अलख शिव गोरख 

वह तेजस्वियों का तेज, 
बलियों का बल, 
ज्ञानियों का ज्ञान, 
साधू का तप है
कवियों का रस है
ऋषियों का गाम्भीर्य 
बालक की हंसी में विराजमान है

ऋषि के मन्त्र गान और बालक की निष्कपट हंसी उसे एक जैसे ही प्रिय हैं। 
वह शब्द नहीं भाव पढता है, 
होंठ नहीं हृदय देखता है, 
वह मंदिर में नहीं, 
मस्जिद में नहीं, 
वो हमारे हृदय में रहता है
बुद्धिमानों की बुद्धियों के लिए वह पहेली है पर एक निष्कपट मासूम को वह सदा उपलब्ध है। 
वह कुछ अलग ही है। पैसे से वह मिलता नहीं और श्रद्धा रखने वालों को कभी छोड़ता नहीं। 
उसे डरने वाले पसंद नहीं, 
वह ईश्वर है, अलख है सबसे अलग पर सबमें रहता है 

 सारे संसार को नियंत्रण में रखता है , 
हर जगह मौजूद है और सब देवताओं का भी देवता है 
एक मात्र वही सुख देने वाला है जो उसे नहीं समझते वो दुःख में डूबे रहते हैं, 
और जो उसे अनुभव कर लेते हैं, मुक्ति सुख को पाते हैं । उस अलख को सोम आदेश करता है ।
जय गुरु धर्मनाथ आदेश आदेश
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