**********ध्यान*******
ध्यान करने के लिए शुरुआती तत्व-
1.श्वास की गति, 2.मानसिक हलचल 3. ध्यान का लक्ष्य और 4.होशपूर्वक जीना। उक्त चारों पर ध्यान दें तो तो आप ध्यान करना सीख जाएंगे।
ध्यान और लक्ष्य :
निराकार ध्यान-
ध्यान करते समय देखने को ही लक्ष्य बनाएं। दूसरे नंबर पर सुनने को रखें। ध्यान दें, गौर करें कि बाहर जो ढेर सारी आवाजें हैं उनमें एक आवाज ऐसी है जो सतत जारी रहती है- जैसे प्लेन की आवाज जैसी आवाज, फेन की आवाज जैसी आवाज या जैसे कोई कर रहा है ॐ का उच्चारण। अर्थात सन्नाटे की आवाज। इसी तरह शरीर के भीतर भी आवाज जारी है। ध्यान दें। सुनने और बंद आंखों के सामने छाए अंधेरे को देखने का प्रयास करें। इसे कहते हैं निराकार ध्यान।
आकार ध्यान-
आकार ध्यान में प्रकृति और हरे-भरे वृक्षों की कल्पना की जाती है। यह भी कल्पना कर सकते हैं कि किसी पहाड़ की चोटी पर बैठे हैं और मस्त हवा चल रही है। यह भी कल्पना कर सकते हैं कि आपका ईष्टदेव आपके सामने खड़ा हैं। 'कल्पना ध्यान' को इसलिए करते हैं ताकि शुरुआत में हम मन को इधर उधर भटकाने से रोक पाएं।
आँखे बंद करके शांत बैठना कठिन लगता है ? इसके लिये चिंता न करें आप ऐसें अकेले नहीं है |
ये कुछ सरल उपाय हैं, उस व्यक्ति के लिये जो ध्यान करना शुरू करना चाहता है | इस अभ्यास में जैसे आप नियमित होंगे, आप निश्चित ही इसके और गहन में जायेंगे |इसकी शुरुआत इन १० सरल सुझावों के साथ करें |
सुविधाजनक समय को चुने : ध्यान वास्तव में विश्राम का समय है, इसलिये इसे अपनी सुविधा के अनुसार करें | ऐसा समय चुने जिसमे आप को कोई परेशान न कर सके और आप विश्राम और आनंद लेने के लिये स्वतंत्र हो | सूर्योदय और सूर्यास्त का समय जब प्रकृति दिन और रात में परिवर्तित होती है, यह समय इसका अभ्यास करने लिये सबसे आदर्श है |
शांत स्थान चुने :सुविधाजनक समय के जैसे सुविधाजनक स्थान को चुने जहां आप को कोई परेशान न कर सके | शांत और शान्तिप्पूर्ण वातावरण ध्यान के अनुभव को और अधिक आनंदमय और विश्रामदायक बनाता है |
आराम से बैठें : आप की मुद्रा से बहुत फर्क पड़ता है | यह निश्चित कर ले कि आप आराम से, सुखद और स्थिर है | सीधे बैठें और रीड की हड्डी सीधी रखे, अपने कंधे और गर्दन को विश्रामदेह रखे और पूरी प्रक्रिया के दौरान आँखे बंद ही रखें | आप को पद्मासन (कमल मुद्रा ) में बैठना होगा, यह ध्यान के बारे में आम कल्पना है |
पेट को खाली रखे : भोजन से पहले ध्यान का अच्छा समय होता है | भोजन के बाद में आप को नींद लग सकती है | जब आप को काफी भूख लगी हो तो ध्यान करने का अधिक प्रयास न करें | भूख की ऐंठन के कारण आपको इसे करने में कठिनाई होगी और हो सकता है कि पूरे वक्त आप सिर्फ खाने के बारे में सोचे | ऐसें में आप भोजन के दो घंटे उपरांत ध्यान कर सकते हैं |
इसे वार्मअप से शुरू करें : थोड़ी देर का वार्मअप या सूक्ष्म योग ध्यान के पहले करने से आपका रक्त के परिसंचरण में सुधार होता है, शरीर की जड़ता और बैचेनी दूर होती है और शरीर हल्का महसूस होता है | आप स्थिरता के साथ अधिक समय बैठ सकेंगे |
कुछ लंबी गहरी सांसे लीजिये | यह आसानी से ध्यान करने की तैयारी है | ध्यान के पहले गहरी सांस लेना और छोड़ना और नाड़ी शोधन प्राणायाम करना अच्छा होता है | इससे सांस की लय स्थिर हो जाती है और मन शांतिपूर्ण ध्यान अवस्था में चला जाता है |
अपने चेहरे पर सौम्य मुस्कान बना कर रखें:आप फर्क महसूस करेंगे | एक निरंतर सौम्य मुस्कान से आप आराम औए शांति महसूस करेंगे और यह आपके ध्यान के अनुभव को बढ़ाता है |
निर्देशित ध्यान से शरू करें : नये लोगों के लिये ध्यान का अभ्यास करने के लिये निर्देशित ध्यान का सहारा लेना अच्छा होगा | इससे आप की ध्यान के अभ्यास की शुरुआत हो जायेगी | आप को सिर्फ आँखों को बंद करके आराम करना है और निर्देशों को सुनकर उसका पालन करते हुये अनुभव का आनंद लेना है |
अपनी आँखों को धीरे धीरे सौम्यता से खोले: जैसे आप ध्यान के अंत में पहुंचे तो अपनी आँखों को खोलने में जल्दी न करें और चलने न लग जायें | अपनी आँखे धीरे धीरे खोले और अपने प्रति और वातावरण के प्रति सजग होने के लिये समय लें |
ताज़गी का अनुभव करें और दिन का आनंद लें : ध्यान तत्काल ऊर्जा बूस्टर के जैसे है | अपने दिनचर्या में कुछ मिनटों का ध्यान आपको में दिन भर उर्जावान रखेगा | उतना समय निकाले और अपने लिये ध्यान के आश्चर्यों का अनुभव करें |
"ध्यान लग जाता है और इसे आप कर सकते हैं | ध्यान लगाने के लिये सिर्फ आप ही सहज और सुखद वातावरण निर्मित कर सकते हैं
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